नोएडा वन महोत्सव 2022

हर साल मानसून के आगमन के साथ ही पूरे भारत में वन महोत्सव  मनाया जाता है। जुलाई का पहला सप्ताह इस पर्व के लिए समर्पित होता है| पौधरोपण अभियान तथा पर्यावरण के प्रति लोकजन को जागरूक करने हेतु कई कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं |

नोएडा वन महोत्सव 2022
छाया स्रोत – नोएडा प्राधिकरण सीईओ के ट्विटर हैंडल के सौजन्य से

नोएडा वन महोत्सव 2022 के अवसर पर जिला प्रशासन 5 से 7 जुलाई तक गौतमबुद्धनगर में पौधरोपण अभियान चलाएगा| अकेले जिले में ही करीब 11 लाख पौधे रोपे जाएंगे |

नोएडा वन महोत्सव 2022 पर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण गतिविधि

उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। लखनऊ में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, चित्रकूट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अयोध्या में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रयागराज में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक 5 जुलाई को वन महोत्सव 2022 वृक्षारोपण अभियान को हरी झंडी दिखाएंगे ।

गौतमबुद्धनगर जिले में भी 11 लाख पौधे लगाए जाएंगे। वृक्षारोपण अभियान नोएडा और ग्रेटर नोएडा के स्थानीय प्रशासन के सहयोग से वन विभाग द्वारा चलाया जायेगा | इस वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन के विभिन्न विभागों, स्कूलों, कॉलेजों, आवासीय समितियों, गैर सरकारी संगठनों, स्थानीय व्यवसायों और बड़े कॉर्पोरेट घरानों को शामिल किया गया है।

वन महोत्सव के उपलक्ष्य में नोएडा में भी वृहद वृक्षारोपण अभियान आयोजित किया जायेगा | नोएडा प्राधिकरण को 3 लाख से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। शासन के निर्देशानुसार नोएडा प्राधिकरण द्वारा वृहद पौधारोपण अभियान के तहत प्राधिकरण द्वारा 5 जुलाई को 2 लाख 64 हजार पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित है। नोएडा वन महोत्सव 2022 वृक्षारोपण अभियान 5 से 7 जुलाई और फिर 15 अगस्त को चलाया जाएगा ।

नोएडा सेक्टरों में वन महोत्सव वृक्षारोपण अभियान

नोडल अधिकारी ने जिलाधिकारी कार्यालय के अधिकारियों एवं संभागीय वनाधिकारी के परामर्श से पौधरोपण के लिए स्थानों का चयन किया है | उन्होंने सेक्टर-136, नोएडा ग्रीन बेल्ट शक्ति वन , सेक्टर-15 सबमर्जेंस एरिया समेत अन्य इलाकों का निरीक्षण किया है |  इस वर्ष के वृक्षारोपण अभियान के लिए मुख्य रूप से सेक्टर 84, 145, 151, 155, 156, 158, 163 और सेक्टर 168 से एफएनजी के किनारे पैसठ स्थान निर्धारित किए गए हैं। 

नोएडा में वन विभाग के पास उनकी छह नर्सरी में करीब 17 लाख पौध तैयार हैं। ये ज्यादातर देशी पेड़ हैं जो आदर्श रूप से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने में सहायक होते हैं | साथ ही फलदार पौधों और औषधीय पौधों की पौध भी वृखारोपण के लिए इन नर्सरियों में तैयार की गयी है | पांच साल तक इनके रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी। 

वन और वृक्ष आवरण पृथ्वी के फेफड़े समान

वृक्षारोपण अभियान का उद्देश्य राज्य के हरित आवरण को बढ़ाना है। वन आवरण ग्रह के फेफड़ों की तरह ही कार्य करते हैं |  क्या आप जानते हैं कि एक पेड़ एक साल में 150 किलोग्राम कार्बन डाइऑक्साइड को अलग कर सकता है।घने वृक्षारोपण से कार्बन अवशोषण में सुधार होता है और पृथ्वी पर ग्रीन हाउस गैस में कमी होती है | यह हरित आवरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा के सघन प्रदूषित शहरी क्षेत्रों के लिए वरदान सामान है |

1,442 वर्ग किलोमीटर के कुल भौगोलिक क्षेत्र के साथ गौतम बुद्ध नगर में 20 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र हरित कवर के तहत है। यह 2 फीसदी से भी कम है। जिले में कुल पांच मध्यम घने जंगल हैं जिनका घनत्व 70-40% है और 15 खुले वन 39% -10% घनत्व के साथ हैं।

अधिक जानकारी के लिए भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 पढ़ें

वन विभाग के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में मियावाकी वन

गौतम बुद्ध नगर का वन विभाग नोएडा और ग्रेटर नोएडा में व्यापारिक प्रतिष्ठानों के सहयोग से 0.3 हेक्टेयर के चार क्षेत्रों को मियावाकी जंगलों के रूप में विकसित करेगा। दिग्गज कॉर्पोरेट हाउस अपनी कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत इस कार्यक्रम में सम्मिलित होंगे |

वन विभाग का उद्देश्य प्रदूषण का मुकाबला करने के साथ-साथ शहर के घटते हरित आवरण को बढ़ाने के लिए मियावाकी तकनीक का उपयोग करके देशी जंगलों के छोटे पैच विकसित करना है। इन छोटे क्षेत्रों में आगामी मानसून के मौसम में लगभग 8,500 पौधे लगाए जाएंगे। 

मियावाकी तकनीक जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित की गयी तकनीक है । इसमें छोटे क्षेत्रफल में घने, देशी जंगलों की उगाया जाता है | इसके लिए झाड़ियों और जड़ी-बूटियों, ज्यादातर देशी प्रजातियों के साथ-साथ लंबे और छोटे पौधों की मिश्रित किस्म लगाने की आवश्यकता होती है। इस तकनीक में पौधों की वृद्धि 10 गुना तेज होती है और परिणामी वृक्षारोपण सामान्य से 30 गुना अधिक सघन होता है। आम तौर पर पौधरोपण की लागत लगभग ₹45 लाख प्रति हेक्टेयर आती है जिसमे तीन साल का रखरखावभी शामिल है | तीन साल उपरान्त यह मियावाकि जंगल आत्मनिर्भर हो जाते हैं।

गौतमबुद्धनगर के वन विभाग ने पिछले महीने मियावाकी वन तकनीक का उपयोग करके ग्रेटर नोएडा के इकोटेक 3 क्षेत्र में न्यू हॉलैंड फिएट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के परिसर में वृक्षारोपण अभियान शुरू किया था।

मियावाकी तकनीक का पायलट प्रोजेक्ट लगभग तीन साल पहले सूरजपुर कलेक्ट्रेट में किया गया था। कलेक्ट्रेट परिसर में 0.32 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 9,000 पेड़ लगाए गए। अब, यह वृक्षारोपित क्षेत्र इतना घना है कि इसमें चलना भी मुश्किल हो गया है।

वन विभाग और घने देशी मियावाकी जंगलों को विकसित करने के लिए एचसीएल, एनटीपीसी दादरी, अंबुजा सीमेंट्स जैसे कॉर्पोरेट समूहों के साथ बातचीत कर रहा है।

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